स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

रविवार, 31 जुलाई 2011

संसद और सांसद



भारतीय लोकतंत्र का आधार संसद है. संसद  के दो भाग है लोक सभा और राज्य सभा . लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता करती है और राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि करते है. इसलिए जनता संसद का आधार है, हम ये भी कह सकते है कि जनता लोकतंत्र का आधार होती है. जनता सांसदों से ये उम्मीद करती है कि वे उनकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगे.

 हमारे जन प्रतिनिधि चुनाव से पहले तो जनता के आगे विभिन्न प्रकार के वादे करते हुए नज़र आते है लेकिन चुनाव के बाद वे वी वी आई पी कहलाने लगते है और वी वी आई पी जनता के बीच फिर नज़र नहीं आता है.  

हमारे जनप्रतिनिधि संसद भवन में बैठकर जनता के हित के लिए बड़े बड़े कानून और नीतियों की  रुपरेखा तैयार करते है. इन्ही कानून और नीतियों की आड़ में वे स्वयं का हित करने में मशगूल हो जाते हैं .( अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता ). हमारे संसद सदस्य देश के लिए इतने महत्वपूर्ण होते है कि उनकी  सुख सुविधा और सुरक्षा का हमेशा ही विशेष ध्यान  रखा जाता है. उनके व्यक्तिगत सुरक्षा गार्ड होते हैं.


 संसद भवन की सुरक्षा के तो क्या कहने है .


 सभी संसद सदस्यों को दिल्ली में आवास दिया जाता है.चार वर्ष के सेवाकाल वाले प्रत्‍येक सदस्‍य तो एक हजार चार सौ रूपये प्रति मास की पेंशन दी जाती है. इसके अतिरिक्‍त पाँच वर्ष के बाद की सेवा के प्रत्‍येक वर्ष के लिए 250 रूपये और दिए जाते हैं.प्रत्‍येक सदस्‍य 1500 रूपये प्रतिमास का वेतन तथा ऐसे स्‍थान पर, जहां संसद के किसी सदन का अधिवेशन या समिति की बैठक हो, ड्यूटी पर निवास के दौरान 200 रूपये प्रतिदिन का भत्ता प्राप्‍त करने का हकदार है. मासिक वेतन तथा दैनिक भत्ते के अलावा प्रत्‍येक सदस्‍य 3000 रूपये मासिक का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और 1000 रूपये प्रतिमास की दर से कार्यालय व्‍यय प्राप्‍त करने का हकदार है. प्रत्‍येक सदस्‍य को प्रतिवर्ष देश के अंदर कहीं भीअपनी पत्‍नी/अपने पति या सहचर के साथ 28 एक तरफा विमान यात्राएं करने की छूट होती है.सदस्‍य को देश के अंदर कहीं भी, कितनी भी बार, वातानुकूलित श्रेणी में यात्रा के लिए स्‍वयं तथा सहचर के लिए एक रेलवे पास भी मिलता है.प्रत्‍येक सदस्‍य निशुल्‍क टेलीफोन-एक दिल्‍ली में तथा दूसरा अपने निवास स्‍थान पर लगवानें का हकदार है. इसके अलावा, उसे प्रतिवर्ष निशुल्‍क 50,000 स्‍थानीय काल करने की छूट होती है. जब भी संसद सदस्यों की नई खेप आती है तो वे मिलजुलकर अपने वेतन और भत्ते बढ़ा ही  लेते है.

ये सभी सुविधाएँ संसद सदस्यों को वी वी आई पी बनाती है और एक बार संसद भवन में आने के बाद वे  इन सुविधाओं के आदि बन जाते है.यदि वे पांच बर्ष के बाद फिर चुनकर नहीं आ पाते है तो भी पेंशन और मेडिकल की सुविधाएँ यथावत चलती रहती है.और वे वी वी आई पी बने रहते है. आम जनता अपने नेताओं के  इन सुख सुविधाओं का खर्च वहन करती रहती है.

संसद भवन यद्यपि इनकी कर्मस्थली है लेकिन वे कभी कभी इसे कुरुक्षेत्र का मैदान बना देते है.  साल दर साल या सत्र दर सत्र संसद का महत्व  घटता जा रहा है. हर सत्र एक नई हुडदंग को न्योता देता हुआ लगता है. इनका चरित्र चित्रण यहीं पर ख़त्म नहीं हुआ है . यह दल बदलू प्रवृत्ति के तो होते ही  है साथ ही बहुमत के समय दल बदलवाने  की  भी भरपूर क्षमता सिद्ध (साम, दाम, दंड ,भेद ) करते हुए नज़र आते है  इस तरह संसद अपनी गरिमा अपने ही सदस्यों के कारण खोता जा रहा है.

संसद में प्रति मिनट होने वाली कार्यवाही का खर्च 34888 रूपये है.  संसद के पिछले सत्र में काम काज नहीं होने के कारण देश का करीब डेढ़ सौ करोड़ का नुकसान हुआ जिसकी भरपाई भी जनता द्वारा ही हुई. पिछले सत्र में टेलिकॉम घोटाले की  जाँच के लिए नियुक्त पी ए सी के अध्यक्ष द्वारा तैयार रिपोर्ट को ही सरकार के सभी सदस्यों ने ख़ारिज कर दिया था. जबकि पी ए सी यह जाँच करे इसके लिए ख़ारिज करने वाले लोग ही जिम्मेदार  थे .     इन वी वी आई पी की सुख सुविधाओ में उंच- नीच( इनके कैद के समय में  अर्थात जेल में ) हो जाती है तो इनके स्वस्थ्य पर प्रतिकूल  असर पड़ना तुरंत शुरू हो जाता है(जैसे भूलने की बीमारी, सीने में दर्द की शिकायत  ) . राजा और  कलमाड़ी भी आज तक शायद आज़ाद ही घूम रहे होते यदि कोर्ट द्वारा सरकार को फटकार न लगाई गई होती . काले धन के मामले में भी हर बार सर्वोच्च न्यायालय से सरकार को फटकार पड़ती ही रहती है . मंहगाई के कम होने की डेड लाइन प्रधानमंत्री कई बार दे चुके है जो कई बार झूटी सावित हो चुकी है.

 संसद भवन पर 2001में आतंकी हमला हुआ और आतंकी हमले से हमारे नेताओं बचाने में हमारे कई जवान शहीद हो गए . शहीद जवानों ने हमारे नेताओं को तो बचा लिया पर हमारे माननीय नेतागण दस साल बाद भी अपराधियों को सजा नहीं दिला पाए. दोषियों को सजा नहीं मिलने से नाराज शहीदों के परिवारजनों  ने मरणोपरांत मैडल   भी सरकार को लौटा दिया फिर भी हमारे नेता लोग नहीं पसीजे. 



इस तरह देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हमारे संसद सदस्यों की विलासिता पर ही खर्च होता रहता है.(जबकि सही अर्थों में यह पैसा कहीं और लगे तो अच्छा होगा.) . अब जिसके पालन पोषण में  देश का इतना पैसा खर्च हो रहा है वे संसद भवन में बैठकर आखिर करते क्या है ? अगर हम जोड़ने बैठे तो जनता के हित में इन लोगो के द्वारा  किये गए एक दो काम ही याद आतें है..तो फिर आप ही सोचिये  संसद सदस्य देश के कितने काम के हैं.? 

हमारे राजनेताओं को अपने हित में कार्य करने की इतनी आदत पड़ चुकी है की इनको जनलोकपाल में कमियां ही कमियां नजर आती है. कमियां आखिर नज़र क्यों न आयें शिकंजा इन पर ही जो कसेगा. वे इन नज़र आने वाली कमियों को अपने चमचों के माध्यम से भोली भाली जनता तक भी पहुंचा रहे है. हमारे चालू राजनेता कुल्हाड़ी पर पैर मारने की गलती तो कर नहीं सकते इसलिए इन्हें अन्ना और बाबा रामदेव में खामियां नज़र आती है.  इसलिए सरकार ने अपने लोकपाल बिल को ही पास करने का निर्णय किया है 
आगे आगे देखिये होता है क्या ?. फिलहाल देश की नज़र पंद्रह अगस्त से ज्यादा सोलह अगस्त पर है.




शनिवार, 23 जुलाई 2011

मुकेश की याद में


आज मशहूर गायक मुकेश की जन्मतिथि है.  मुकेश का पूरा नाम मुकेश चन्द्र माथुर था.

 लुधियाना के एक कायस्थ परिवार में 22 जुलाई 1923 को इस मशहूर गायक का जन्म हुआ. 1974 में उनको सर्वश्रेष्ठ गायक का राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्म "रजनीगंधा" के लिए दिया गया. हिंदी फिल्म के शो मेन कहे जाने वाले राज कपूर पर फिल्माए गए लगभग सभी गीत मुकेश ने ही गाये है. "चाहे वह मेरा जूता है जापानी" या "एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल ". उन्होंने एक से एक सुन्दर गीत हमको विरासत में दिए है जो अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है. 

15 मई  2003  को उनके सम्मान में भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट भी जारी किया  गया.
 आज मुकेश के जन्मदिन पर प्रस्तुत है उनका एक दुर्लभ गीत और साथ ही  साथ एक प्रसिद्द कर्णप्रिय गीत  भी. आप भी सुनिए .


 अच्छा तो लगा ही होगा . मुकेश के तो सभी गीत अच्छे है.

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

फिर दहला मुंबई

मुंबई में आज शाम सात बजे के आस पास दस मिनट के अन्तराल में  तीन बम धमाके हुए . ये धमाके ओपेरा हाउस, जवेरी बाजार और कबूतरखाना में हुए .

 बम धमाकों में इक्कीस लोगों के मारे जाने की खबर है और एक सौ तेरह लोग घायल हैं (पोस्ट लिखने तक ) . जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया है उससे फिलहाल पुलिस को  इन्डियन मुजाहिद्दीन पर शक है.
 ये तीनो ही क्षेत्र बहुत ही भीड़ भाड़ वाले हैं इसलिए अधिक लोग इस धमाके से प्रभावित हुए .




मुंबई पुलिस के प्रवक्ता निसार तांबोली ने कहा कि पहला विस्फोट दक्षिण मुंबई के जावेरी बाजार में हुआ जो प्रसिद्ध मुंबादेवी मंदिर के पास है। ओपरा हाउस भी दक्षिण मुंबई में ही  है। मध्य मुंबई के दादर वेस्ट में कबूतरखाना इलाके में हुए विस्फोट में अनेकों लोग घायल हो गए। शहर भर में विस्फोटों के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इस समय हम सभी को जागरुक रहने की आवश्यकता है . विशेष कर मुंबई वासियों से अनुरोध हैं कि यदि आवश्यकता न हो तो घर से बाहर न निकले . ये बात तो सब पर लागू नहीं हो सकती है क्योंकि मुंबई में लोग बहुत दूर दूर के उपनगरीय क्षेत्रों से आकर नौकरी करते है.. इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखे 
हमेशा सतर्क रहें .
हमेशा अपनी सुरक्षा करते हुए दूसरे का भी ध्यान रखे.
कोई संदेहास्पद वस्तु पाए जाने पर तुरंत पुलिस को सूचना दे
अपने आसपास की गतिविधियों का विशेष ध्यान रखें.
संचार के किसी भी माध्यम से लोगों के संपर्क में रहें.
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यदि और भी कोई सुझाव है तो आप भी लोगों को बताएं.

हमें सोचने की आवश्यकता है कि हमारे देश में कुछ दिनों के अन्तराल पर कोई न कोई आतंकी हमला क्यों  होता रहता है ? इस विषय में हम बाद में बातें करेंगें. 


ये घटना उस समय की है जब मुंबई की सड़को पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है. लोग दफ्तरों से लौट रहे होते है या फिर लोग अपने परिवार के साथ घूमना फिरना पसंद करते है.इस प्रकार की घटना  मानव -निर्मित आपदा की श्रेणी में आती है,लेकिन इस तरह की आपदा से लोग अंजान होते है. इस प्रकार की घटना के बाद में लोग सबसे पहले अपने परिजनों से संपर्क करना चाहते है.

 आज शाम को मैं  भी काफी परेशान रही क्योंकि मेरे पति भी बाहर गए हुए थे और उनसे मोबाईल पर बात नहीं हो पा रही थी. आज भी कई लोगों  ने फेसबुक और ट्विट्टर के माध्यम से इस कठिन समय में अपने मित्रों और परिजनों से संपर्क बनाये रखा.

  सरकारी तंत्रों द्वारा इस प्रकार की आपदा की स्थिति में  सुरक्षा कारणों से  मोबाईल के नेटवर्क जाम कर दिए जाते है.  इस विषय मुझे  ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए ज्यादा बात नहीं करुँगी. मगर एक सुझाव है.
संपर्क के लिए ध्वनि सन्देश  (voice message ) का उपयोग करें .

जिस प्रकार आपने मोबाईल पर विज्ञापन सुने है उसी प्रकार इस स्थिति में हर मोबाइल ओपरेटर से एक  ध्वनि सन्देश ( voice message ) भेजना चाहिए जो इस प्रकार हो.
पुलिस ---------से प्राप्त सूचना के अनुसार ----------------पर बम धमाका हुआ है .आप से अनुरोध है कि आवश्यकता होने पर ही घर से बाहर निकले . अफवाहों  पर ध्यान नहीं दे. यदि आपके पास कोई सूचना हो तो पुलिस सहायता केंद्र से xxxxxxxxxxxx नंबर पर संपर्क करें .

कुछ हद तक इन उपायों से राहत जरुर मिलेगी .यदि आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें भी बताएं .
 इस आपदा में मारे गए लोगों को हमारी ओर से श्रद्धांजलि . वैसे सही अर्थों में तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि तब मिलेगी जब अपराधियों को सजा मिल जाएगी.


शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

महाबलेश्वर और पंचगनी दर्शन

आगे हम लोग महाबलेश्वर मंदिर गए . महाबलेश्वर  मंदिर से पहले भी हमने एक शिव मंदिर में भगवान शिव के दर्शन किये .महाबलेश्वर मंदिर में तो हमें कैमरा बंद रखना पड़ा . मंदिर के बाहर का दृश्य ये रहा .  




महाबलेश्वर मंदिर के पास में ही पंचगंगा मंदिर है. वहां पर भी हमें कैमरा बंद रखना पड़ा. बाहर के दृश्य तो आप भी देख सकते है.

 इस मंदिर में एक साथ यहाँ की पांच प्रमुख नदियों  (कोयना , कृष्णा,वीणा ,गायत्री,सावित्री ) का पवित्र जल एक जगह मिलता है . इस पवित्र जल का काफी महत्व है. इस जल की संयुक्त धारा को ही पंचगंगा कहते है.गूगल की कृपा से हमें अन्दर के कुछ दृश्य भी प्राप्त हुए है.आप भी आनंद उठाइए .


अगले दिन हम लोग पंचगनी की ओर गए . सबसे पहले रास्ते में हमने फलों का जूस ,जैम,शरवत इत्यादि बनाने वाली एक स्थानीय फेक्ट्री को बाहर से देखा . उसके बाद  हम पारसी प्वायंट पहुंचे .



यहाँ पर  एक और आकर्षण केंद्र था.

अंत में हम लोग पंचगनी पहुंचे जहाँ घोडा गाड़ी से हमने वहां के नज़ारों का आनंद उठाया . यहाँ एक बार फिर हमें जबरदस्त हवा का सामना करना पड़ा. पंचगनी महाबलेश्वर के मुकाबले समुन्द्र तल से कम उंचाई पर है इसीलिए यहाँ मौसम थोडा खुला हुआ था.








वहां पांडवों के पदचिन्ह भी देखने को मिले .पदचिन्ह के बाद का चित्र पांडवों की गुफा के बाहर का है.  पांडवों की सी गुफा के अन्दर आज एक रेस्टोरेंट चल रहा है. जहाँ गुप्प अँधेरे में बैठ कर लोग खा भी रहे थे. उनको देखने के बाद मैंने मन ही मन सोचा कि ये लोग क्या खा रहे है इन्हें भी पता है क्या ?   गुफा के अन्दर जाने के लिए भाड़े पर टोर्च भी मिल रहा था पर हमने बाहर से ही गुफा को नमस्कार कर लिया .






हमारे इन चित्रों के माध्यम से आपने भी महाबलेश्वर और पंचगनी के मनमोहक दृश्यों का आनंद जरुर उठाया होगा  तो आपकी भविष्य की महाबलेश्वर और पंचगनी की यात्रा के लिए अभी से शुभकामनायें .

शनिवार, 2 जुलाई 2011

महाबलेश्वर और पंचगनी दर्शन:एक

पिछले महीने हमने मुंबई की गर्मी से परेशान होकर महाबलेश्वर और पंचगनी की यात्रा करने की सोची. यह पर्यटन क्षेत्र सतारा जिले में स्थित है. राज्य परिवहन की बस से हम एक दम सुबह-सुबह पांच बजे पंहुच गए . जब हम वहां पंहुचे तो बस स्टैंड में गुप्प अँधेरा था क्योंकि वहां बिजली कटी हुई थी. एक तो नई जगह , चारो तरफ गुप्प अँधेरा और ऊपर से सुबह की जबरदस्त ठण्ड में हमारी हवा ख़राब हो गई थी . ऐसे समय में हमको हमारे जैसे एक और नवदम्पति भी मिल गए . हम सड़क पार करके एक चाय की दुकान तक जाने ही वाले थे की एक टेक्सी वाले भाई साहब ने हमें आवाज दी .  इस समय हमरी जरुरत टेक्सी ही थी जो हमें किसी होटल तक ले जा सके और टैक्सी वाले भाई साहब तो  जैसे हमारा ही इंतजार कर रहे थे. उन्होंने हमें देखते ही कुछ होटल के कमरे के चित्र दिखाए . हमने भी उनके आगे आत्मसमर्पण कर दिया और मन ही मन कहा की  यहाँ से तो ले चलिए .
होटल हमें ठीक लगा या यूँ कहिये की ठीक तो लगाना ही था . पहले हमने विश्राम करने का निर्णय लिया.  उस  समय होटल का वह कमरा स्वर्ग समान  लग  रहा था क्योंकि इस दौरान हम ठण्ड से अकड़ चुके थे .
फिर दस बजे के करीब नाश्ते के बाद हम घूमने के लिए निकल पड़े . सबसे पहले हम स्वयं भू गणेश जी के मंदिर गए और उसके बाद प्लेटो प्वायंट देखने गए . प्लेटो प्वायंट के करीब में  ही किंग चेयर्स भी है . वहां पर हवा की रफ़्तार तो बहुत ही तेज़ थी . हलके फुल्के लोग तो वहां टिक ही  नहीं सकते. कुछ नज़ारे आप भी देखिये .







यहाँ के बाद में हम लोग काटे'स प्वायंट, एलिफेंट हेड प्वायंट और इको प्वायंट देखने गए ये सभी आस -पास ही हैं .आप भी देखिये 





महाबलेश्वर स्ट्राबेरी के लिए भी मशहूर है और यहाँ पर एक आइस क्रीम की  दुकान में ढेर सारे अभिनेताओं की फोटो भी  लगी हुई है .  आप भी आनंद लीजिये .



फिर हम लोग प्रतापगढ़ किले में गए थे वहां से भी नज़ारा बहुत अच्छा था लेकिन हम जब वहां पंहुचे तो बरसात शुरू हो गई जिस के कारण वहां फोटो लेने में दिक्कत हो रही थी.
 मैं पानी नहीं निकाल रही, बस फोटो खिंचा रही हूँ 
 किले के बाहर का दृश्य 
 ये तोप नकली है 

 शिवाजी महाराज की प्रतिमा के नीचे 

 किले का मुख्य द्वार 
यहाँ मरम्मत का कार्य चल रहा है इसलिए हम वह तक जा नहीं पाए 
भवानी मंदिर के बाहर 
ये मेरे पति हैं और सारी फोटो इन्होने ही खिंची है 

आज के लिए काफी हो गया.  महाबलेश्वर के मुख्य मंदिर , पंचगंगा और पंचगनी तक का सफ़र मेरी बातें के अगली पोस्ट में देखिये.